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कविता

काले लोगों का गीत

राकेशरेणु


महज भूगोल की किताबों में
और खदानों में तुम्हारे
नहीं है
कोयला और लोहा सारा|
लोहे की धार है
हममें
कोयले की है आग
और हमने जान लिया है
कि जरूरी है धार और आग का इस्तेमाल
अत्याचार के खिलाफ
तुमने लूटी है ज्योति हमारे घरों की
और चुराते रहे हो सत्मे
हनत की हमारी
सोने और हीरे की चमक की तरह
हर स्वर्ग का निर्माण इसी तरह होता है
बहुत छमकाए तुमने सोने और हीरे हमारे
बहुत चुंधियाई हमारी आँखें
बहुत सहा तुम्हारा अनाधिकार शासन
बहुत हुए हम क्रीतदास
अब जबकि जान लिया है हमने
अत्याचार के खिलाफ
धार और आग का इस्तेमाल
हम लड़ेंगे हर शोषण के खिलाफ
रंग की राजनीति के खिलाफ
सपनों की खरीद-फरोख्त के खिलाफ
तुम्हारे स्वर्ग और देवता-रूप के खिलाफ
लड़ेंगे हम 


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